यह कहानी एक गांव के धरतीपुर नामक स्थान पर घटी थी। धरतीपुर गांव बहुत ही छोटा था, लेकिन वहां के लोग आधुनिक दुनिया से अनजान थे। वहां के लोगों की मुख्य आर्थिक स्रोत कृषि था और उनका सबसे बड़ा सहारा मौसम का निर्णय था। यानि बारिश होगी तो फसल हो होगी तो फसल होगी और नहीं होगी तो फसल नहीं होगी वहां के लोग ईमानदार और मेहनती भी थे और खेती किसानी करके दूसरों के घर काम करके अपने घर का गुजारा करते थे Heart Touching Story In Hindi
धरतीपुर गांव में एक बड़ा धनी व्यक्ति रहता था, जिनका नाम राजेश्वर था। राजेश्वर गांव का सबसे धनी व्यक्ति था और उसके पास कई बड़े खेत और बड़ी संपत्ति थी। लेकिन यह धन उसके मन में गर्व और घमंड की भावना को उत्तेजित कर देता था।
राजेश्वर के खेतों में काम करने के लिए अनेक गरीब किसान आते थे, जो उसकी खेतों में मेहनत करके अपने परिवार के लिए रोज़गार प्राप्त करते थे। वे सभी मानवता की दृष्टि से समान थे, लेकिन राजेश्वर की दृष्टि में वे उनके सेवक थे, और सबको वह निचली जाति का मान कर उनसे भेदभाव करता था और साथ ही खूब मेहनत करवाकर कम पैसे देता था क्योंकि इस राजेश्वर सेठ के पास सबसे ज्यादा जमीन थी तो इसके पास काम करना लोगों की मजबूरी थी।
इसी गांव में मोहन नामक एक मेहनती किसान रहता था। मोहन एक सीधे सच्चे जीवनशैली वाले आदमी था, जिनकी मेहनत और समर्पण की प्रेरणा गांव के लोगों को देती थी। मोहन का परिवार बड़ा था, और उनका परिवार मुख्य रूप से उनके माता-पिता, पत्नी और छोटे बच्चों से मिलकर बनता था।
मोहन के पास बड़ी ज़मीन नहीं थी, लेकिन वह जो कुछ भी था, उसमें वह बहुत मेहनत करके अपने परिवार को पालने के लिए खेती करते थे। वे अपनी उन्नति की दिशा में कड़ी मेहनत करते थे और दूसरे किसानों को भी उनके उदाहरण से प्रेरित होते थे।
एक वर्ष, धरतीपुर गांव में अत्यधिक वर्षा होने लगी। यह वर्षा बर्बादी और संकट का कारण बन गई, कई किसानों की फसलें बर्बाद हो गई। इसमें मोहन की भी फसलें शामिल थीं। अब मोहन का परिवार आर्थिक संकट में पड़ गया था, क्योंकि उनकी परिवार की प्रमुख आय का स्रोत उनकी फसलों से था।
अचानक एक दिन मोहन के मन में एक विचार उत्पन्न हुआ – क्या अगर वह राजेश्वर सेठ के पास जाकर मदद मांगे तो उसे कुछ आराम मिल सकता है? उसने सोचा कि राजेश्वर सेठ तो गरीबों की मदद के लिए नहीं आएंगे, लेकिन कुछ भी हो सकता है।
उस दिन मोहन ने साहस जुटाकर राजेश्वर सेठ के पास जाने का निर्णय किया। उसने सोचा कि जो कुछ भी हो, उसे कम से कम यह दिखा देना चाहिए कि वह एक मेहनती और समझदार आदमी है, जिसकी मदद राजेश्वर सेठ के खेतों के काम में काम आ सकती है।
मोहन राजेश्वर सेठ के पास पहुँचकर उनसे मदद मांगने के लिए बोले, “सेठ जी, क्या आप मुझे थोड़ा सा काम दे सकते हैं? मेरी फसलें बर्बाद हो गई हैं और मेरे परिवार को भूखा मरने की स्थिति में है।”
राजेश्वर सेठ ने मोहन की ओर देखते हुए एक मात्र शर्त रखी, “देख भाई, मैं तुझे पैसे नहीं दूंगा, लेकिन मैं तुझे अपने खेतों में काम करने का मौका देता हूँ।”
मोहन ने तत्काल सहमति दी और अगले दिन से राजेश्वर सेठ के खेतों में काम करने लगे। मोहन ने जितनी मेहनत से उस काम को किया, उससे राजेश्वर सेठ खुश थे। धीरे-धीरे मोहन ने खेतों के काम को तेज कर दिया और दो महीनों में ही उन्होंने अपना काम पूरा कर दिया।
राजेश्वर सेठ खुश थे क्योंकि मोहन ने उनकी उम्मीदों से ज्यादा काम किया था। लेकिन उन्होंने इसे बयान नहीं किया और अपने घमंड में दिलासा देने के लिए उन्हें उनका तनख्वाह कम दिया।
मोहन ने सेठ के साथ काम करते समय उसका व्यवहार अच्छे से देखा और उसने यह समझ लिया कि धन की महत्वपूर्णता के साथ-साथ मनुष्य का दिल भी महत्वपूर्ण होता है। मोहन ने सेठ के दिल में सहानुभूति और विश्वास जिता लिया था।
कुछ समय बाद मोहन ने खेतों में एक नया तकनीकी सुधार लागू किया, जिससे फसल की उपज दोगुनी हो गई। इससे राजेश्वर सेठ को अधिक मुनाफा हुआ और उन्होंने मोहन का सम्मान किया और उसके साथ उसके मन में विश्वास बढ़ाया।
एक दिन राजेश्वर सेठ ने मोहन से बात की, “मोहन, तूने मेरी उम्मीदों से बहुत ज्यादा काम किया है और तूने मेरा साथ दिया। मैं तुझे अपना साथी मानता हूँ और मैं चाहता हूँ कि तू मेरे साथ ही रहे।”
मोहन ने सेठ के आग्रह को स्वीकार किया और उनके साथ काम करना जारी रखा। सेठ ने उसे अच्छी तरह से मानवाधिकार और सम्मान दिया और मोहन का जीवन अब खुशियों से भर गया।
Heart Touching Story In Hindi से सीखने लायक पाठ
इस Gyanvardhak Kahani से हमें यह सिख मिलती है कि धन के साथ-साथ मनुष्य के दिल का महत्वपूर्ण होना चाहिए। हमें अपने आत्मविश्वास को खोने की बजाय उसे मजबूती देनी चाहिए और हमें हमारे साथियों की मदद करने में हमारा सर्वोत्तम प्रयास करना चाहिए।