वर्षा ऋतु परिचय (Rainy Season Essay In Hindi)
वर्षा ऋतु (varsha Ritu) एक ऐसी ऋतू है। जो लोगों को फायदा भी देती है। और नुकसान भी पहुचती है। लोगों को खुश भी करती है। और दुखी भी करती है। परंतु जैसी भी है। बहुत जरुरी होती है। वर्षा ऋतु को भारत में कई नामो से जाना जाता है, इसके कई नाम है जैसे चौमासा, पावस ऋतू, और अंग्रेजी भाषा में Rainy Season बोलते है। इस ऋतु की खासियत ये है कि इसमें बारिश होती है। तो इसे बारिश का मौसम, बरसात का मौसम, या मानसून भी कहते है। इसकी समय अवधि जून से अक्टूबर तक होता है।
वर्षा ऋतु के फायदे (Varsha Ritu Essay)
वर्षा ऋतु के काफी फायदे हैं। इस ऋतु का इंतजार सभी लोग पूरे साल भर करते हैं। और इस मौसम में बारिश होती है जिससे हमारी जल पूर्ति होती है। किसानों की फसलों की शुरुआत होती है। और फसलों के बीजों को बोया जाता है। नदी तालाब सब भर जाते हैं जो हमारे साल भर काम आते हैं और हमारी फसलों को और हमें भरपूर पानी देते हैं। भारी गर्मी से राहत मिलती है, मौसम ठंडा हो जाता है। बारिश की बजह से बीज अंकुरित होने लगते है। और पशु-पक्षियों को पिने के लिये भरपूर पानी हो जाता है।
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वर्षा ऋतु के नुकसान (Essay On Monsoon Season)
वर्षा ऋतु के बहुत सारे फायदों के साथ बहुत नुकसान भी है। जैसे अचानक गर्म मौसम से ठंडा मौसम हो जाता है। तो बीमारियों का जनम हो जाता हैं। बारिश के शुरुआत में ही लोगो को बुखार, सर्दी, खांसी, सर दर्द आदि बीमारियां शुरू हो जाती हैं।
इसके अलावा कच्ची गलियों, खेतो आदि जगहो पर कीचड़ हो जाता हैं। जिससे लोगो को परेशानियां भी होती हैं। ज्यादा बारिश से बाढ़ आने की संभाबना बढ़ जाती हैं ऐसे स्थान जहाँ बाढ़ आती है। वहा के लोगो को इस मौसम में पलायन करना पड़ता है। और जिन इलाकों में भरी नुकसान भी होता है। अचानक बाढ़ आने से हर साल कई लोगो की मौत होती है। घर डूब जाते है। तुफानो में कई घरों को नुकसान पहुचता है।
वर्षा ऋतु का दूसरा पहलु (About Varsha Ritu)
देश का विकाश हो रहा है, ये बहुत अच्छी बात है। लेकिन हमारी प्रकति से छेड़-छाड़ भी की जा रही है। रोज लाखो हरे-भरे पेड़ काट दिये जाते है। रोज बड़ी संख्या में पहाड़ो को खोदा जा रहा है। इससे Varsha ritu पर भी असर पड़ा है। जैसे कुछ इलाको में सूखा, अकाल, और भूमि बंजर हो गयी। मौसमी बारिश होने का समय बदल गया। जिसका सीधा नुकसान किसानों के खेतों पर पड़ा है।
गर्मी ज्यादा बढ़ गयी, और सर्दियों के मौसम में भी बदलाव देखने को मिले है। सभी को एक संकल्प लेना चाहिये कि वो हर साल काम से कम 1 पेड़ लगाए। में इस कार्य को कर रहा हु आप भी करिये।
उपसंहार (ग्रीष्म ऋतु के बाद वर्षा ऋतु)
धरती पर अलग अलग ऋतुयो का अलग अलग महत्व है। जो प्रकति का संतुलन बनाये रखती है। अगर इनमे से एक ऋतू भी अपना काम करना बंद कर दे, तो मानव जीवन संकट में आ जायेगा। इसके कितने दुष्परिणाम होंगे इसकी आप कल्पना भी नहीं कर सकते है। इसलिये प्रकति को संतुलित रखे। ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाइये, पानी को बर्बाद न करें, पक्षियों की रक्षा करे। और रद्दी पेपर को फेके नहीं ये बदलाव क्रन्तिकारी है।
वर्षा पर कविता (hindi poem on rainy season)
सावन में जब तू आती है, घनघोर घटाएं छा जाती हैं।
कभी पेड़ो को हिलाती है, कभी भंवरों के संग गाती है।।
बागों में खेलती रहती है, छांव में बैठी रहती है।
ना दुख में कभी तू रोती है, बस हंसती हंसती रहती है।।
न जाने कहां से आती है, ना जाने कहां खो जाती है।
घटाओं को जरा तोड़-मरोड़, हवाओं से जरा लड़ झगड़,
झीलों को भर-भर के, नदियों को कल-कल करके,
तू अपने घर को जाती है, तु अपने घर को जाती है।
हर एक लफ्ज़ भीतर कहता मैं राहुल, जब भी तू आती है।
झोली भरके दे जाती है, कही सब संग में ले जाती है।।
पशु-पंछी नर सहित, सबकी भूख मिटाती है।
सावन में जब तू आती है घनघोर घटाएं छा जाती है।।2
By:- Admin Rahul Kushwaha (Rain poem in hindi)