सावित्रीबाई ज्योतिराव फुले…
सावित्रीबाई फुले का जन्म 3 जनवरी 1831 में हुआ था वो भारत की पहली महिला शिक्षिका थी। Savitribai-India Ki First Teacher सावित्रीबाई फुले एक समाज सुधारक और एक मराठी कवित्री थी।
उन्होंने अपने पति ज्योतिराव गोविंदराव फुले के साथ मिलकर महिला अधिकार के लिए समाज से लड़ाई लड़ी। Savitribai-India Ki First Teacher उन्होंने 1852 देश में पहले महिला विद्यालय की स्थापना की और वो खुद उसकी प्रिंसीपल बनी।
बाद में पुणे में 18 महिला विद्यालय खोले उन्होंने समाज के विरुद्ध कई रीतियों और परम्पराओ को बदल के रख दिया जैसे की सती प्रथा, विधवाओ की आजादी के लिए भी उन्होंने बहुत कार्य किये उन्होंने अपनी जिन्दगी में कभी पीछे नहीं देखा हमेशा दलितो, जरुरतमंदो और असहाय लोगो की सेवा की उस समय जब दलितों की महिलाओ को पढाना शुरू किया तो लोगो ने उनकी बहुत निद्रा की
सावित्रीबाई ज्योतिराव फुले
रानी लक्ष्मी बाई को तो सब जानते होगे लेकिन जो सावित्रीबाई को जानता है वो उनको रानी लक्ष्मी बाई से कम नहीं मानता जब वो विद्यालय जाती थी तो रस्ते में लोग उनके ऊपर कीचड़ फेका करते थे और खूब बुरा भला कहते थे लेकिन उनके इरादों को न समाज कमजोर कर सकी और न ही समाज के रीती-रिवाज
जब लोग उनके ऊपर कीचड फेकते थे तो वो निराश नहीं होती थी क्यों की वो सबको अपना परिवार मानती थी वो अपने थेले में एक और साड़ी साथ ले जाती थी जो विद्यालय में बदल लेती थी और उस कीचड़ वाली साड़ी को विद्यालय में धुलकर सुखाती फिर बापस जाने पर उनपर फिर लोग कीचड़ फेकते थे तो घर पहुच के फिर साफ बस्त्र पहन लेती थी ये उनके साथ रोज होता था फिर भी उनके इरादों में मजबूती थी जो अपने मकसद में सफल हुई
वो जाती-बाद के भी खिलाफ थी उन्होंने एक संस्था चलायी जिसमे सबको आजादी थी जातीवाद की सीमा लाघ कर विवाह भी हो सकता था समाज में इसकी घोर निद्रा हुई पर उन्होंने अपने ही बेटे का विवाह इसी संस्था से एक दलित कन्या से किया और जिन्दगी भर लोगो की सेवा में गुजार दिए Savitribai-India Ki First Teacher
एक बार उनके नगर में एक भयंकर बीमारी फैली लोगो को मरता देख वो अपने आप को रोक न सकी और लोगो की सहायता करने के लिए मैदान में उतर गयी जबकि वो जानती थी की ये एक छुआ-छुत की बीमारी है और उनको जान को भी खतरा है फिर भी अपनी जान दाव पर लगा के वो लोगो की सहायता करने लगी जब अस्पताल भर गये तो उन्होंने अपने घर पर ही लोगो का इलाज करवाया, Savitribai-India Ki First Teacher
फिर उनको पता लगा की एक दलित परिवार में एक बच्चा उस बीमारी से तडप रहा है वो उसे अस्पताल ले जाने के लिए उके पास गयी और उस बच्चे को अपनी पीठ पर बांध कर अस्पताल की ओर भागने लगी इसी भीच वो भयंकर बीमारी उनको भी लग गयी और फिर 10 मार्च 1897 में उनकी मुत्यु हो गयी
उनकी कुछ कविताये..!! Savitribai Phule Poems
ज्योतिष पंचाग हस्तरेखा में पड़े मूर्ख
स्वर्ग नरक की कल्पना में रूचि
पशु जीवन में भी
ऐसे भ्रम के लिए कोई स्थान नहीं
पत्नी बेचारी काम करती रहे
मुफ्तखोर बेशर्म खाता रहे
पशुओं में भी ऐसा अजूबा नहीं
उसे कैसे इन्सान कहे?
Savitribai-India Ki First Teacher
शूद्र और अति शूद्र
अज्ञान की वजह से पिछड़े
देव धर्म, रीति रिवाज़, अर्चना के कारण
अभावों से गिरकर में कंगाल हुए
दो हजार साल पुराना
शूद्रों से जुड़ा है एक दुख
ब्राह्मणों की सेवा की आज्ञा देकर
झूठे मक्कार स्वयं घोषित
भू देवताओं ने पछाड़ा है।
स्वाबलंबन का हो उद्यम, प्रवृत्ति
ज्ञान-धन का संचय करो
मेहनत करके।
बिना विद्या जीवन व्यर्थ पशु जैसा
निठल्ले ना बैठे रहो
करो विद्या ग्रहण।
शूद्र-अतिशूद्रों के दुख दूर करने के लिए
मिला है कीमती अवसर
अंग्रेजी शिक्षा प्राप्त करने का।
Savitribai-India Ki First Teacher
अंग्रेजी पढ़कर जातिभेद की
दीवारें तोड़ डालो
फेक दो भट-ब्राह्मणों के
षड्यंत्री शास्त्र-पुराणों को।