Road Accident: तेज रफ्तार बस पिकअप को ठोकर मारते हुए घर में जा घुसी, हादसे में बच्ची समेत 2 घायल | Road Accident: 2 including girl injured after bus rammed into house

गरियाबंद जिले में ये पहली दफा नहीं है, जब बसों की बेकाबू रफ्तार ने कहर ढाया है। पिछले साल पांडुका में 2 बसों की आमने-सामने भिड़ंत से 10 यात्री घायल हुए थे। इनके अलावा छुटपुट घटनाएं आम हैं। सोमवार की घटना के बाद पत्रिका ने फिंगेश्वर के लिए महासमुंद और राजिम रूट से चलने वाली बसों की पड़ताल की। पता चला कि रोज 35 से ज्यादा गाड़ियां यहां यात्रियों को लाने-ले जाने का काम करती हैं। इनमें से आधी से ज्यादा तकरीबन 20 गाड़ियां कंडम हालत में हैं। सीटें फट गईं। फोम उखड़ आए हैं।

कहीं ढीले नट-बोल्ट से पुर्जा-पुर्जा हिल रहा है, तो कहीं चट चुके टायरों के साथ ही ड्राइवर बस को हवा से बातें करवा रहे हैं। मंगलवार को जो बस पलटी, उसके पिछले टायर भी चटे हुए थे। यानी इनमें ग्रिप ही बाकी नहीं थी। जाहिर है, इसे पलटना ही था। बताते हैं कि घटना के बाद यहां लोगों की चीख-पुकार मच गई। कुछ ही देर में पूरा गांव यहां उमड़ पड़ा था। लोगों ने बस में सवार सभी लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला। 12 यात्रियों में एक बच्ची समेत दो लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं। इन्हें इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है। दुकान का शटर तोड़ने से पहले बस ने जिस पिकअप को टक्कर मारी, वो भी चकनाचूर है। शिकायत पर फिंगेश्वर पुलिस ने विवेचना शुरू कर दी है।

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रंग-रोगन कर चलाई जा रही खताड़ा गाड़ी, ज्यादातर में लगे हैं प्रेशर हॉर्न

बस मालिक से लेकर ड्राइवर और कंडेक्टर तक कोई भी नियमों का उल्लंघन करने से नहीं चूक रहा। नियमत: 15 साल से पुरानी बसें नहीं चलाई जा सकती। यहां बहुत सी खताड़ी गाड़ियां रंग-रोगन कर चलाई जा रहीं हैं। इन्हें दोबारा परमिट कैसे मिल जाता है? अगर नहीं मिलता, तो इन पर कार्रवाई क्यों नहीं होती? ये दो अहम सवाल हैं।

इसी तरह दुपहिया और चार पहिया गाड़ियों के प्रेशर हॉर्न पर तो जमकर चालान कटते हैं, लेकिन ज्यादातर बसवाले इसे बेधड़क इस्तेमाल कर रहे हैं। अब बात ड्राइवर और कंडेक्टरों की। पहले तो ये क्षमता से ज्यादा यात्री बिठाते हैं। जिले में किसी भी रूट पर यात्रा करने वाले लगभग सभी यात्री इस अनुभव से रूबरू होंगे। इसके अलावा ज्यादा सवारी बिठाने की लालच में ये कहीं भी बस रोक देते हैं। चंद रुपयों के लिए हादसों को न्यौता देने वाली इस हरकत पर भी सख्ती जरूरी है।

बगल से ऐसे गुजरती है बसें कि लगता है… जान लेकर ही मानेंगे

फिंगेश्वर-रायपुर रूट के यात्री नागेंद्र साहू बताते हैं कि वे राजधानी में नौकरी करते हैं। हफ्ते-डेढ़ हफ्ते में एक बार इस रूट पर आना-जाना होता है। उन्होंने कहा कि बस ड्राइवर बहुत स्पीड से गाड़ी चलाते हैं। कई बार लहराते हुए ओवरटेक करते हैं, मानो बस नहीं कोई बाइक चला रहे हों। इन्हें देखकर कई बार सड़क छोड़कर नीचे उतरना पड़ता है। इनकी रफ्तार ऐसी रहती है मानो जान लेकर ही मानेंगे। दुपहिया और चार पहिया चालकों पर कार्रवाई के लिए ट्रैफिक पुलिस कहीं भी खड़ी कर दी जाती है। इन जानलेवा बसों पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं करता? और भी राहगीरों ने पत्रिका से इसी तरह के अनुभव साझा किए।

महासमुंद से राजिम आ रही बस के सामने पिकअप आ गया। अचानक ब्रेक लगने से गाड़ी पलट गई। एक दुकान की शटर में जा टकराई। पिकअप बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई है। – चिंताराम देशमुख, एसआई, फिंगेश्वर

जिले में यात्री बसों की रूटीन जांच जरूरी है। ज्यादा सवारी भरने की शिकायत त्योहारों के समय अधिक होती है। उस वक्त हम कार्रवाई भी करते हैं। अभी यह हादसा हुआ है, तो यात्री सुरक्षा सुनिश्चित करने नियमों का उल्लंघन करने वाले बसों पर तेज कार्रवाई करेंगे। – रविन्द्र ठाकुर, क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी, गरियाबंद

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