Haryana Election Result: जीटी रोड से दक्षिण हरियाणा तक BJP ने भरा फर्राटा, 11 फीसदी वोट बढ़ने का भी फायदा नहीं उठा सकी Congress | BJP swept from GT Road to South Haryana till faridabad 32 mla seats Congress could not take advantage of even 11 percent increase in votes?

सवर्ण-ओबीसी समीकरण का फायदा

  • जीटी रोड क्षेत्र के सवर्ण, पंजाबी, ओबीसी प्रभाव वाले पंचकुला, अंबाला, यमुनानगर, कुरुक्षेत्र, कैथल, करनाल, पानीपत और सोनीपत की 27 सीट में से 15 पर भाजपा ने जीत दर्ज की।
  • यादव बाहुल्य वाले दक्षिणी हरियाणा के रेवाड़ी, गुडग़ांव, फरीदाबाद, महेन्द्रगढ़ जिले की 23 में से 17 सीट पर भाजपा को जीत मिली। कांग्रेस सिर्फ छह सीट पर सिमट गई।
  • जाट बाहुल्य वाले बागर क्षेत्र में कांग्रेस का प्रदर्शन अच्छा रहा है। फतेहाबाद, सिरसा, हिसार, भिवानी की 19 सीट में कांग्रेस ने 10, भाजपा ने छह और आइएनएलडी ने दो सीट पर जीती।
  • देशवाल क्षेत्र में रोहतक, झज्जर, चरखी दादरी, जिंद जैसे जिलों की 21 सीट पर कड़े मुकाबले में भाजपा ने 10 और कांग्रेस ने नौ सीट पर जीत दर्ज दी। दो सीट अन्य के खाते में गई है।

शैलजा इफेक्टः दलित वोटों में बिखराव

लोकसभा चुनाव के विपरीत विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को दलितों का एकतरफ वोट नहीं मिला। कांग्रेस ने भले ही एससी कोटे (SC Qota) की 17 सीटों में से नौ सीट जीती हो, लेकिन कुमारी शैलजा की नाराजगी का असर दिख रहा है। इसका उदाहरण भूपेन्द्र हुड्डा का गढ़ कहे जाने वाले सोनीपत जिले की खैरखौदा और पानी पानीपत जिले की इसराना सीट है। भाजपा ने दोनों सीटें कांग्रेस से छीनी है। भाजपा ने एससी वर्ग की तीन बढ़ाकर अपना अंक आठ पर पहुंचा दिया। 2019 में जेजेपी को चार और निर्दलीय ने एक सीट जीती थी। इस बार आरक्षित वर्ग में इनका सफाया हो गया।

बंसीलाल की विरासत भाजपा के साथ

भिवानी जिले की तोशाम सीट पर चौधरी बंसीलाल (Chaudhary Banshilal) की विरासत के उत्तराधिकारी का चुनाव हो रहा था। दरअसल, किरण चौधरी के कांग्रेस छोड़ने के बाद उनकी पुत्री श्रुति चौधरी भाजपा के टिकट पर चुनाव में उतरीं। उनके मुकाबले में कांग्रेस ने बंशीलाल के पोते अनिरूद्ध चौधरी को टिकट दिया। चुनाव में जनता ने श्रुति को चुनाव जिता कर भाजपा का साथ दे दिया।

बिरेन्द्र सिंह की चौतरफा घेराबंदी

उचानाकलां में सर छोटू राम के परिवार से आने वाले कांग्रेस उम्मीदवार चौधरी बिरेन्द्र सिंह की चौतरफा घेराबंदी की गई। यहां जेजेपी से दुष्यंत चौटाला भी उतरे। भाजपा के देवेन्द्र चतुर्भुज ने बिरेन्द्र सिंह को महज 32 वोट से चुनाव हराया। जबकि, निर्दलीय विरेन्द्र घोघारियान को 31456, निर्दलीय विकास को 13458, जेेजेपी के दुष्यंत को 7950 वोट मिले।

जेजेपी का वोट बिखरा, कांग्रेस को मिला

2019 में जेजेपी ने 14 फीसदी वोट के साथ 10 सीट पर जीत हासिल की थी। इस चुनाव में जेजेपी का वोट पूरी तरह बिखर गया। इसमें अधिकांश वोट जाट व दलित समुदाय से जुड़ा हुआ माना जाता है। यही वजह रही कि कांग्रेस का वोट करीब 11 फीसदी और भाजपा का वोट 3.45 फीसदी बढ़ा। हालांकि कांग्रेस इतना वोट बढ़ाने के बाद भी महज छह सीट का इजाफा कर पाई। वहीं भाजपा का वोट कम बढ़ा, लेकिन आठ सीट बढ़ गई।

निर्दलीयों ने बिगाड़ा कांग्रेस का खेल

कांग्रेस की सरकार बनाने के लिए बहुमत से दूर रहने का बड़ा कारण 14 सीटें हैं, जहां निर्दलीय,आइएनएलडी, बसपा व अन्य ने कांग्रेस का खेल बिगाड़ दिया। यहां अन्य उम्मीदवार 20 हजार से अधिक वोट लेकर कांग्रेस को नुकसान पहुंचाया है।

सीट पार्टी वोट हार-जीत का अंतर

  1. सोहना निर्दलीय 49210 11877
  2. नरवाना आईएनएलडी 46303 11499
  3. उचाना कलां निर्दलीय 31456 32

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