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जयपुर टैंकर ब्लास्ट: राधेश्याम के दर्दनाक आखिरी शब्द, परिवार की टूटी उम्मीदें

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राजस्थान के जयपुर-अजमेर हाईवे पर 20 दिसंबर की सुबह हुए गैस टैंकर हादसे ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। इस दर्दनाक घटना में अब तक 14 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 30 से ज्यादा लोग गंभीर रूप से घायल हैं। हादसे में बालमुकुंदपुरा गांव के रहने वाले राधेश्याम चौधरी की मौत ने उनके परिवार को गहरे सदमे में डाल दिया है।

रोज की तरह अपनी नौकरी के लिए निकले राधेश्याम भांकरोटा पर पहुंचते ही आग की चपेट में आ गए। पूरी तरह झुलस चुके राधेश्याम ने आखिरी बार कहा था, “मुझे कोई बचा लो, कोई गाड़ी में ले चलो, किराया मैं दे दूंगा।” उन्हें तत्काल अस्पताल ले जाया गया, लेकिन 2 घंटे बाद उनकी मौत हो गई।

कैसे हुआ हादसा?

20 दिसंबर की सुबह एक एलपीजी टैंकर अजमेर से जयपुर की तरफ आ रहा था। एक कट से मुड़ते समय पीछे से तेज रफ्तार कंटेनर ने उसे टक्कर मार दी। टैंकर के वॉल्व टूटने के कारण गैस तेजी से लीक होकर 200-250 मीटर के दायरे में फैल गई। इसके बाद कई छोटे-बड़े धमाके हुए और लगभग 40 वाहन आग की चपेट में आ गए। धमाकों की गूंज कई किलोमीटर तक सुनाई दी।

प्रत्यक्षदर्शी ट्रक चालक सुमेर सिंह ने बताया, “मैंने आसमान में धुएं का बड़ा गुबार देखा। ऐसा लगा जैसे सामने नरक ही नरक है। ट्रक को छोड़कर भागा तो पीछे सिर्फ आग और धमाकों की आवाजें सुनाई दीं।”

राधेश्याम के परिवार पर टूटा दुखों का पहाड़

राधेश्याम चौधरी के कंधों पर उनके पूरे परिवार की जिम्मेदारी थी। उनके परिवार में मां, छोटा भाई, पत्नी, 14 साल की बेटी आयशा और 8 साल का बेटा दीक्षित हैं। उनकी मौत ने परिवार को आर्थिक और मानसिक संकट में डाल दिया है।

सरकार और प्रशासन का बयान

हादसे के बाद राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और स्वास्थ्य मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर ने सवाई मान सिंह अस्पताल का दौरा किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मृतकों के परिवारों को 2 लाख रुपये और घायलों को 50,000 रुपये की आर्थिक सहायता की घोषणा की।

DNA सैंपल से शवों की पहचान की जा रही है, क्योंकि अधिकांश शव बुरी तरह से झुलस गए हैं। इस हादसे की वजह से हाईवे पर सुरक्षा इंतजामों पर सवाल उठने लगे हैं।

ट्रैफिक सुरक्षा पर उठे सवाल

इस घटना ने हाईवे सुरक्षा और भारी वाहनों के संचालन को लेकर चिंताओं को बढ़ा दिया है। दुर्घटना की जांच के आदेश दे दिए गए हैं, और विशेषज्ञों का कहना है कि भविष्य में ऐसे हादसों को रोकने के लिए कड़े कदम उठाने की जरूरत है।

आखिरी शब्द जो दिल को छू गए

राधेश्याम के आखिरी शब्द, “कोई बचा लो,” हादसे की भयावहता को दर्शाते हैं। इस हादसे ने केवल पीड़ित परिवारों को नहीं, बल्कि पूरे समाज को झकझोर दिया है।

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