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राजस्थान के मुकुटमणि भटनेर किले का कायाकल्प, पर्यटकों को मिलेगा अद्भुत अनुभव | Rajasthan’s Crown Jewel Bhatner Fort Restored, Tourists to Have an Amazing Experience Doors to Open Soon for Public

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पुरातत्व विभाग के अनुसार पुरानी पद्धति का इस्तेमाल इसलिए किया जा रहा है, क्योंकि इसकी स्ट्रैंथ सीमेंट की मजबूती से अधिक होती है और काफी वर्षों तक चलती है। सीमेंट से किए गए मरम्मत कार्य 15 से 20 साल तक ही कारगर होते हैं। जिला मुख्यालय स्थित इस दुर्ग को निखारने का कार्य डेढ़ वर्ष से जारी है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की ओर से इस किले का जीर्णोद्धार करने के लिए गुड़, मेथी, कत्था, बेलगिरी, उड़द, चूने और सुरखी से बने घोल से एक-एक ईंटें जोड़ कर किले के जर्जर हिस्से की मरम्मत की गई। सुरखी दिल्ली एवं हरियाणा से मंगवाई जा रही है।

पुराने लुक में दिखे

इस किले को पुराना लुक मिले, उसी के तहत पुरातात्विक विभाग रिपेयर का काम करवा रहा है। मुख्य द्वार के आसपास 36 लाख रुपए की लागत से सुधार कार्य किया गया।

जल्द खुलेंगे आमजन के लिए द्वार

उम्मीद जताई जा रही है कि इस वर्ष के अंत में मरम्मत कार्य पूरा हो सकेगा। 1700 साल पुराना यह किला मरम्मत के बाद फिर से निखरने लगेगा।

किया जा रहा मरम्मत कार्य

फैक्ट फाइल

  • 1700 साल पुराना भटनेर किला- इसमें भगवान शिव व हनुमान मंदिर
  • किले में 52 बुर्ज है।
  • भटनेर 52 बीघा में बना हुआ है।
  • वर्तमान में सैलानियों के लिए मुख्य द्वार बंद है।
Rajasthan Bhatner Fort

हादसे के बाद से था बंद

17 अक्टूबर 2022 को किले में चल रहे निर्माण कार्य के दौरान एक दीवार ढह गई थी। हादसे में मलबे में दबने से एक मजदूर राजेन्द्र दास की मौत हुई और पांच अन्य घायल हो गए थे। इस दिन के बाद से भी यह किला आम लोगों के लिए बंद कर दिया गया था।

भटनेर दुर्ग को वही रूप मिले, इसके लिए विभाग की गाइडलाइन के अनुसार मरम्मत कार्य करवाया जा रहा है। वर्तमान में मुख्य द्वार के पास मरम्मत कार्य किया जा चुका है। अगले चरण में होने वाले कार्यों के लिए प्रोपोजल तैयार कर मुख्यालय को भिजवाया जाएगा।

विपुल कुमार, संरक्षण सहायक, पुरात्तव विभाग

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